GTA चीफ बिमल गुरुंग असम में बोले, भारत के गोरखाओं की अस्मिता के लिए जरूरी है गोरखालैंड
दीपक राई
वीर गोरखा न्यूज नेटवर्क
गुवाहाटी। दार्जिलिंग की पहाड़ी सियासत के बाद अब गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिमल गुरुंग ने अब नेशनल लेवल पर अपने को स्थापित करने के शुरुआत असम राज्य से कर दी है। गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के चीफ गुरुंग ने यहां अखिल असम गोरखा छात्र संघ के 15वें द्विवार्षिक अधिवेशन के अंतिम दिन असम के गोर्खाली समाज के सामने गोरखा समाज को एकत्रित कर राष्ट्रीय अस्मिता और पहचान दिलाने का संकल्प किया। उन्होंने यहाँ गोरखा समाज को कहा कि वह यहां आकर दार्जिलिंग की नहीं बल्कि पूरे भारत के गोरखा लोगों की आवाज बनने के लिए आए। उन्होंने यहां हजारों की संख्या में पहुंचे गोर्खाली जनता के बीच कहा कि वह अपने लिए कुछ पाने की हसरत नहीं रखते लेकिन समाज के लिए कुछ मांगने की बात आ जाए तो वह कुछ भी कर गुजरने का माद्दा रखते है। उन्होंने आगे कहा कि मैं हमेशा काले को काला और सफ़ेद को सफ़ेद कहने पर यकीन रखता हूँ।
वीर गोरखा न्यूज नेटवर्क
गुवाहाटी। दार्जिलिंग की पहाड़ी सियासत के बाद अब गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिमल गुरुंग ने अब नेशनल लेवल पर अपने को स्थापित करने के शुरुआत असम राज्य से कर दी है। गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के चीफ गुरुंग ने यहां अखिल असम गोरखा छात्र संघ के 15वें द्विवार्षिक अधिवेशन के अंतिम दिन असम के गोर्खाली समाज के सामने गोरखा समाज को एकत्रित कर राष्ट्रीय अस्मिता और पहचान दिलाने का संकल्प किया। उन्होंने यहाँ गोरखा समाज को कहा कि वह यहां आकर दार्जिलिंग की नहीं बल्कि पूरे भारत के गोरखा लोगों की आवाज बनने के लिए आए। उन्होंने यहां हजारों की संख्या में पहुंचे गोर्खाली जनता के बीच कहा कि वह अपने लिए कुछ पाने की हसरत नहीं रखते लेकिन समाज के लिए कुछ मांगने की बात आ जाए तो वह कुछ भी कर गुजरने का माद्दा रखते है। उन्होंने आगे कहा कि मैं हमेशा काले को काला और सफ़ेद को सफ़ेद कहने पर यकीन रखता हूँ।
असम की गोरखा जनता को उन्होंने भावनात्मक अंदाज़ में कहा कि यहां के लोग उन्हें सर, जी और श्रीमान ना कहें, अगर कहना है तो उन्हें मामा, काका या भाई के संबोधन से अपनी बात कहें। अपने जोशीले भाषण में उन्होंने कहा कि मुझे इसी धरती में रहना है, कुछ साथ नहीं लाया था और ना ही कुछ लेकर जाऊंगा। लेकिन अपने गोरखा समाज के लिए अंतिम सांस तक कर्म करता रहूंगा। दौलत से ज़्यादा महत्वपूर्ण रिश्ते है, जिन्हें वह हर कीमत में बचाएं रखेंगे। गोरखालैंड के बारे में उन्होंने कहा कि यह देश के डेढ़ करोड़ गोर्खाली आबादी के लिए उनकी द्वारा लड़ी जा रही लड़ाई है, जिसे वह हर हाल में पूरा करके रहेंगे।
बिमल गुरुंग ने कांग्रेस के सत्तर साल के शासन पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले कई सालों में गोरखा समाज के साथ मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम में अन्याय बढ़ रहा है। उन्हें राज्य से बाहर खदेड़ा जा रहा है लेकिन राज्य सरकारें चुप्पी साधे है। इस अत्यचार को रोकने के लिए उन्होंने कहा कि भाजपा ही इस अन्याय से गोरखा समाज को बचा सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत में पहली बार हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने कहा हो कि गोरखा समाज की समस्या मेरी समस्या है। उन्होंने असम सरकार से तामंग और लिम्बू जनजाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने मांग भी की।
बिमल गुरुंग ने कांग्रेस के सत्तर साल के शासन पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले कई सालों में गोरखा समाज के साथ मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम में अन्याय बढ़ रहा है। उन्हें राज्य से बाहर खदेड़ा जा रहा है लेकिन राज्य सरकारें चुप्पी साधे है। इस अत्यचार को रोकने के लिए उन्होंने कहा कि भाजपा ही इस अन्याय से गोरखा समाज को बचा सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत में पहली बार हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने कहा हो कि गोरखा समाज की समस्या मेरी समस्या है। उन्होंने असम सरकार से तामंग और लिम्बू जनजाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने मांग भी की।
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